प्रतिभा के धनी और किसी भी सूरत में इंजीनियर से कम नहीं बाबा भलखू के योगदान को नहीं भूल सकते। कालका शिमला रेलवे खंड निर्माण में उनके मार्गदर्शन व योगदान को यदि देखा जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि वो किसी मंझे हुए इंजीनियर से कम नहीं थे। सोलन जिला के झाजा गांव के भलखू को आज उनके योगदान के लिए याद किया जाता है। शिमला रेलवे स्टेशन में बाबा भलखू संग्रहालय बनाया गया है जबकि उनके गांव में उनकी प्रतिमा स्थापित है और हर वर्ष उनकी याद में मेला लगता है।
कर्नल बड़ोग ने क्यों की थी आत्महत्या
कालका शिमला रेलवे खंड पर जब कर्नल बड़ोग सुरंग के दोनों छोर मिलाने में असफल रहे और ब्रिटिश सरकार ने उन्हें एक रुपया जुर्माना लगाया, तो उन्होंने आत्महत्या कर ली थी।
उसके बाद सुरंग निर्माण का जिम्मा मुख्यअभियंता एचएस हैरिंगटन को दिया गया। उन्होंने बाबा भलखू के मार्गदर्शन में इस सुरंग का सफलतापूर्वक निर्माण किया। बताया जाता है कि भलखू ने अपनी छड़ी के सहारे सुरंग के निर्माण के लिए निशान लगाए थे जो सुरंग के दोनों छोर मिलने में सहायक रहे। इसके अलावा इस रेल लाइन में और भी कई जगह भलखू ने अंग्रेज इंजीनियरों का मार्गदर्शन किया था। इसके अलावा कई पुलों के निर्माण में भी उन्होंने भूमिका निभाई थी। एक अनपढ़ होने के बावजूद भी इतनी प्रतिभा होने व अंग्रेजी सरकार का रेलवे खंड निर्माण में सहयोग देने पर भलखू को प्रशस्ति पत्रों के साथ सम्मानित किया था। आज भी कई पत्र उनके स्वजनों के पास है।
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