लोकसभा संसद का लोकप्रिय सदन है| क्योंकि सदस्यों का चयन सीधे भारत के आम मतदाताओं द्वारा किया जाता है।
एंग्लो-इंडियन समुदाय से दो लोगों, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है के सिवाय इस सदन के सभी सदस्य को चुने जाते हैं।संविधान में लोक सभा की क्षमता अनुच्छेद 81 के अनुसार 552 (530 राज्यों से, 20 केंद्र शासित प्रदेश और 2 एंग्लो-इंडियन समुदाय से) अधिक सदस्य नही हो सकते|
हाल ही में, भारत सरकार ने संविधान (84 वां संशोधन अधिनियम, 2001) से सन् 2026 तक लोकसभा सीटों में इस फ्रीज को बढ़ा दिया गया है।
लोक सभा के विशेषाधिकार
कुछ शक्तियां है जो संवैधानिक रूप से लोकसभा के पास हैं किन्तु राज्यसभा के पास नहीं हैं।ये शक्तियां निम्न हैं-
1. धन और वित्तीय विधेयकों केवल लोक सभा में पेश किये जा सकते हैं।
2. धन विधेयक के मामले में राज्य सभा सिफारिश कर सकता है जिसे लोक सभा स्वीकार अथवा अस्वीकार कर सकता है। इसके अलावा, धन विधेयक ऊपरी सदन द्वारा 14 दिनों की अवधि के भीतर पारित किया जाना चाहिए। अन्यथा, विधेयक को स्वत: सभा द्वारा पारित माना जाएगा। इस प्रकार,लोक सभा को धन विधेयक पारित करने के लिए विशेष विधायी अधिकार क्षेत्र आनंद मिलता है।
3. मंत्रियों की परिषद केवल लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है| अत: विश्वास और अविश्वास प्रस्ताव को केवल इस सदन में पेश किया सकता है।
4. अनुच्छेद 352 के तहत लोक सभा एक विशेष बैठक में राष्ट्रपति द्वारा घोषित राष्ट्रीय आपात स्थिति को अस्वीकृत कर सकता है,राज्यसभा द्वारा इस प्रकार के रेजल्यूशन को खारिज करने के बाद भी|
लोकसभा का कार्यकाल
लोक सभा का सामान्य कार्यकाल पांच वर्ष है। लेकिन सदन सामान्य कार्यकाल के अंत से पहले राष्ट्रपति द्वारा भंग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय आपातकाला की घोषणा में अनुच्छेद 352 के तहत सदन द्वारा लोकसभा की अवधि को पांच साल के कार्यकाल से बढ़ाया जा सकता है।
लोकसभा की सदस्य की योग्यता:
लोक सभा का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति को:
1. भारत का नागरिक होना चाहिए|
2. 25 वर्ष से अधिक आयु|
3. भारत के किसी भी संसदीय क्षेत्र से पंजीकृत मतदाता
4. किसी अन्य कार्यालय में कार्यरत न हो
लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
अध्यक्ष लोक सभा के मुख्य पीठासीन अधिकारी है।अध्यक्ष हाउस और बैठकों की अध्यक्षता करता है तथा सदन में कार्यवाही पर उसके फैसले अंतिम हैं।लोकसभा अध्यक्ष और डिप्टी स्पीकर(उपाध्यक्ष) को उनके पद से, सदन द्वारा एक प्रभावी बहुमत से पारित रेज्यूलेशन, 14 दिनों की पूर्व सूचना के बाद उनके कार्यालयों से हटा सकता है।
अध्यक्ष, कार्यालय की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए, केवल बराबरी की स्थिति में अपना मत देता| जो की गतिरोध को दूर करने के लिए किया जाता है और यह निर्णायक मत के रूप में जाना जाता है।
अध्यक्ष के विशेषाधिकार
लोक के अध्यक्ष की कुछ शक्तियां हैं जो की इसी के समकक्ष इसके ऊपरी सदन जैसे की राज्य सभा के अध्यक्ष को नहीं दी गयी हैं। वे शक्तियाँ निम्न हैं-
1. एक विधेयक धन विधेयक है या नहीं यह निर्णय लोकसभा अध्यक्ष लेता है और इस संबंध में उसका निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है।
2. अध्यक्ष, या उनकी अनुपस्थिति में, डिप्टी स्पीकर, संसद की संयुक्त बैठकों की अध्यक्षता खत्म करता है।
3. संसदीय समिति लोक सभा के अध्यक्ष के अंतर्गत कार्य करती है| समिति का अध्यक्ष भी उनके द्वारा ही नामित किया जाता है।
5. यदि अध्यक्ष किसी भी समिति के एक सदस्य है, तो वह इस तरह की समिति का पदेन अध्यक्ष हैं। अध्यक्ष की विशेष स्थिति। संविधान ने अध्यक्ष पद को एक विशेष स्थान दिया है।
1. यद्यपि वह लोकसभा के निर्वाचित सदस्य है, किन्तु वह विघटन के बाद अपने पद पर बना रहता है|जब तक की नई लोक सभा सदन का गठन नहीं होता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह न केवल अध्यक्षता और संसदीय कार्यवाही का आयोजन करता है, बल्कि वह लोक सभा सचिवालय के प्रमुख के रूप में कार्य करता है जो की सदन भंग होने के बाद भी कार्यरत रहता है।
3. अध्यक्ष संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता
4. अध्यक्ष एक विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित करता है और इस संबंध में उसका निर्णय अंतिम है।
5. अध्यक्ष भारतीय संसदीय समूह का पदेन अध्यक्ष हैं जो भारत में अंतर-संसदीय संघ के राष्ट्रीय समूह के रूप में कार्य करता हैं।
एंग्लो-इंडियन समुदाय से दो लोगों, जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है के सिवाय इस सदन के सभी सदस्य को चुने जाते हैं।संविधान में लोक सभा की क्षमता अनुच्छेद 81 के अनुसार 552 (530 राज्यों से, 20 केंद्र शासित प्रदेश और 2 एंग्लो-इंडियन समुदाय से) अधिक सदस्य नही हो सकते|
हाल ही में, भारत सरकार ने संविधान (84 वां संशोधन अधिनियम, 2001) से सन् 2026 तक लोकसभा सीटों में इस फ्रीज को बढ़ा दिया गया है।
लोक सभा के विशेषाधिकार
कुछ शक्तियां है जो संवैधानिक रूप से लोकसभा के पास हैं किन्तु राज्यसभा के पास नहीं हैं।ये शक्तियां निम्न हैं-
1. धन और वित्तीय विधेयकों केवल लोक सभा में पेश किये जा सकते हैं।
2. धन विधेयक के मामले में राज्य सभा सिफारिश कर सकता है जिसे लोक सभा स्वीकार अथवा अस्वीकार कर सकता है। इसके अलावा, धन विधेयक ऊपरी सदन द्वारा 14 दिनों की अवधि के भीतर पारित किया जाना चाहिए। अन्यथा, विधेयक को स्वत: सभा द्वारा पारित माना जाएगा। इस प्रकार,लोक सभा को धन विधेयक पारित करने के लिए विशेष विधायी अधिकार क्षेत्र आनंद मिलता है।
3. मंत्रियों की परिषद केवल लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है| अत: विश्वास और अविश्वास प्रस्ताव को केवल इस सदन में पेश किया सकता है।
4. अनुच्छेद 352 के तहत लोक सभा एक विशेष बैठक में राष्ट्रपति द्वारा घोषित राष्ट्रीय आपात स्थिति को अस्वीकृत कर सकता है,राज्यसभा द्वारा इस प्रकार के रेजल्यूशन को खारिज करने के बाद भी|
लोकसभा का कार्यकाल
लोक सभा का सामान्य कार्यकाल पांच वर्ष है। लेकिन सदन सामान्य कार्यकाल के अंत से पहले राष्ट्रपति द्वारा भंग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय आपातकाला की घोषणा में अनुच्छेद 352 के तहत सदन द्वारा लोकसभा की अवधि को पांच साल के कार्यकाल से बढ़ाया जा सकता है।
लोकसभा की सदस्य की योग्यता:
लोक सभा का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति को:
1. भारत का नागरिक होना चाहिए|
2. 25 वर्ष से अधिक आयु|
3. भारत के किसी भी संसदीय क्षेत्र से पंजीकृत मतदाता
4. किसी अन्य कार्यालय में कार्यरत न हो
लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
अध्यक्ष लोक सभा के मुख्य पीठासीन अधिकारी है।अध्यक्ष हाउस और बैठकों की अध्यक्षता करता है तथा सदन में कार्यवाही पर उसके फैसले अंतिम हैं।लोकसभा अध्यक्ष और डिप्टी स्पीकर(उपाध्यक्ष) को उनके पद से, सदन द्वारा एक प्रभावी बहुमत से पारित रेज्यूलेशन, 14 दिनों की पूर्व सूचना के बाद उनके कार्यालयों से हटा सकता है।
अध्यक्ष, कार्यालय की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए, केवल बराबरी की स्थिति में अपना मत देता| जो की गतिरोध को दूर करने के लिए किया जाता है और यह निर्णायक मत के रूप में जाना जाता है।
अध्यक्ष के विशेषाधिकार
लोक के अध्यक्ष की कुछ शक्तियां हैं जो की इसी के समकक्ष इसके ऊपरी सदन जैसे की राज्य सभा के अध्यक्ष को नहीं दी गयी हैं। वे शक्तियाँ निम्न हैं-
1. एक विधेयक धन विधेयक है या नहीं यह निर्णय लोकसभा अध्यक्ष लेता है और इस संबंध में उसका निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है।
2. अध्यक्ष, या उनकी अनुपस्थिति में, डिप्टी स्पीकर, संसद की संयुक्त बैठकों की अध्यक्षता खत्म करता है।
3. संसदीय समिति लोक सभा के अध्यक्ष के अंतर्गत कार्य करती है| समिति का अध्यक्ष भी उनके द्वारा ही नामित किया जाता है।
5. यदि अध्यक्ष किसी भी समिति के एक सदस्य है, तो वह इस तरह की समिति का पदेन अध्यक्ष हैं। अध्यक्ष की विशेष स्थिति। संविधान ने अध्यक्ष पद को एक विशेष स्थान दिया है।
1. यद्यपि वह लोकसभा के निर्वाचित सदस्य है, किन्तु वह विघटन के बाद अपने पद पर बना रहता है|जब तक की नई लोक सभा सदन का गठन नहीं होता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह न केवल अध्यक्षता और संसदीय कार्यवाही का आयोजन करता है, बल्कि वह लोक सभा सचिवालय के प्रमुख के रूप में कार्य करता है जो की सदन भंग होने के बाद भी कार्यरत रहता है।
3. अध्यक्ष संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता
4. अध्यक्ष एक विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित करता है और इस संबंध में उसका निर्णय अंतिम है।
5. अध्यक्ष भारतीय संसदीय समूह का पदेन अध्यक्ष हैं जो भारत में अंतर-संसदीय संघ के राष्ट्रीय समूह के रूप में कार्य करता हैं।
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