देश भर के विश्वविद्यालयों को अब एमफिल और पीएचडी उपाधि में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के
नए नियमों को अपनाना होगा। यूजीसी ने एमफिल/पीएचडी उपाधि प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानदंड और प्रक्रिया को
विनियम-2009 के बजाय विनियम 2016 में तबदील कर दिया है। इस विनियम 2016 के तहत कुछ आवश्यक परिवर्तन भी एमफिल/
पीएचडी के न्यूनतम मानदंड और प्रक्रिया में किए गए हैं। यूजीसी के विनियम 2016 के तहत एमफिल/पीएचडी में प्रवेश के लिए
पात्रता मापदंड, पाठ्यक्रम की अवधि, प्रवेश की प्रक्रिया, गाइड का निर्धारण, पाठ्यक्रम संबंधी कार्य, शोध सलाहकार समिति
तथा इसके प्रकार्य, उपाधि के मूल्यांकन तथा निर्धारण पद्धतियों सहित अन्य कार्यों के लिए नियम तय किए हैं। विश्वविद्यालय
के नियमित आचार्य, सह/सहायक आचार्य जो पीएचडी उपाधि प्रदान हो, के साथ विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय पूर्णकालीन
शिक्षक ही गाइड की भूमिका के रूप में कार्य कर सकेंगे। यूजीसी ने एमफिल/पीएचडी के लिए क्रेडिट रिक्वायरमेंट, नंबर, अवधि,
सिलेबस और उपाधि पूर्ण करने की न्यूनतम अवधि भी तय की है। यूजीसी ने रिसर्च एडवायजरी कमेटी और इसके कार्य को लेकर
भी नियम तय किए हैं। यूजीसी के निर्देशों में कोई भी विश्वविद्यालय, महाविद्यालय दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यम से एमफिल
और पीएचडी पाठ्यक्रम नहीं चलेएगा। अंशकालीन आधार पर पीएचडी पाठ्यक्रम चलाने की अनुमति कुछ शर्तों तक मिलेगी।
उपाधियों को अवार्ड करने के लिए पहले एमफिल-पीएचडी शोध प्रबंधन की एक इलेक्ट्रॉनिक प्रति इंफलिबनेट के पास
जमा करनी होगी ताकि सभी संस्थानों तक इसकी पहुंच बनाई जा सके। उपाधि देने से पूर्व संस्थान एक प्रमाण पत्र जमा करवाएगा.
जिससे यह तय होगा कि यूजीसी विनियम 2016 के प्रावधान के अनुरूप यह पीएचडी और एमफिल की उपाधि प्रदान की गई है।
यह रहेगी अवधि
एमफिल पाठ्यक्रम की न्यूनतम अवधि दो सेमेस्टर के लिए एक वर्ष और चार सेमेस्टर के लिए दो वर्ष होगी। पीएचडी पाठ्यक्रम के
लिए कम से कम अवधि तीन वर्ष होगी, जिसमें पाठ्यक्रम से संबंधित कार्य भी शामिल होगा। अवधि अधिकतम छह वर्ष तक की
जा सकेगी।
छात्रों की संख्या भी तय
यूजीसी के विनियम 2016 में किसी एक समय में कोई भी आचार्य तीन एमफिल, आठ पीएचडी शोधार्थियों का मार्गदर्शन करेगा।
सह आचार्य के लिए यह संख्या एमफिल में दो और पीएचडी में छह निर्धारित होगी। सहायिकाचार्य के लिए एमफिल में एक और
पीएचडी में चार रहेगी।
महिलाओं-दिव्यांगों को छूट
महिला अभ्यर्थी व 40 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्ति को एमफिल में एक वर्ष और पीएचडी की अवधि में दो वर्ष की छूट प्रदान की
जाएगी। इसके साथ ही महिला अभ्यर्थियों को एमफिल/पीएचडी की अवधि में एक बार 240 दिन तक का मातृत्व अवकाश प्रदान
किया जाएगा। इसके साथ ही महिला शोधार्थी विवाह या अन्य किसी कारण से दूसरे विश्वविद्यालय में भी अपनी पीएचडी और
एमफिल जारी रखने की अनुमति शर्तों के तहत मिलेगी।
नए नियमों को अपनाना होगा। यूजीसी ने एमफिल/पीएचडी उपाधि प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानदंड और प्रक्रिया को
विनियम-2009 के बजाय विनियम 2016 में तबदील कर दिया है। इस विनियम 2016 के तहत कुछ आवश्यक परिवर्तन भी एमफिल/
पीएचडी के न्यूनतम मानदंड और प्रक्रिया में किए गए हैं। यूजीसी के विनियम 2016 के तहत एमफिल/पीएचडी में प्रवेश के लिए
पात्रता मापदंड, पाठ्यक्रम की अवधि, प्रवेश की प्रक्रिया, गाइड का निर्धारण, पाठ्यक्रम संबंधी कार्य, शोध सलाहकार समिति
तथा इसके प्रकार्य, उपाधि के मूल्यांकन तथा निर्धारण पद्धतियों सहित अन्य कार्यों के लिए नियम तय किए हैं। विश्वविद्यालय
के नियमित आचार्य, सह/सहायक आचार्य जो पीएचडी उपाधि प्रदान हो, के साथ विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय पूर्णकालीन
शिक्षक ही गाइड की भूमिका के रूप में कार्य कर सकेंगे। यूजीसी ने एमफिल/पीएचडी के लिए क्रेडिट रिक्वायरमेंट, नंबर, अवधि,
सिलेबस और उपाधि पूर्ण करने की न्यूनतम अवधि भी तय की है। यूजीसी ने रिसर्च एडवायजरी कमेटी और इसके कार्य को लेकर
भी नियम तय किए हैं। यूजीसी के निर्देशों में कोई भी विश्वविद्यालय, महाविद्यालय दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यम से एमफिल
और पीएचडी पाठ्यक्रम नहीं चलेएगा। अंशकालीन आधार पर पीएचडी पाठ्यक्रम चलाने की अनुमति कुछ शर्तों तक मिलेगी।
उपाधियों को अवार्ड करने के लिए पहले एमफिल-पीएचडी शोध प्रबंधन की एक इलेक्ट्रॉनिक प्रति इंफलिबनेट के पास
जमा करनी होगी ताकि सभी संस्थानों तक इसकी पहुंच बनाई जा सके। उपाधि देने से पूर्व संस्थान एक प्रमाण पत्र जमा करवाएगा.
जिससे यह तय होगा कि यूजीसी विनियम 2016 के प्रावधान के अनुरूप यह पीएचडी और एमफिल की उपाधि प्रदान की गई है।
यह रहेगी अवधि
एमफिल पाठ्यक्रम की न्यूनतम अवधि दो सेमेस्टर के लिए एक वर्ष और चार सेमेस्टर के लिए दो वर्ष होगी। पीएचडी पाठ्यक्रम के
लिए कम से कम अवधि तीन वर्ष होगी, जिसमें पाठ्यक्रम से संबंधित कार्य भी शामिल होगा। अवधि अधिकतम छह वर्ष तक की
जा सकेगी।
छात्रों की संख्या भी तय
यूजीसी के विनियम 2016 में किसी एक समय में कोई भी आचार्य तीन एमफिल, आठ पीएचडी शोधार्थियों का मार्गदर्शन करेगा।
सह आचार्य के लिए यह संख्या एमफिल में दो और पीएचडी में छह निर्धारित होगी। सहायिकाचार्य के लिए एमफिल में एक और
पीएचडी में चार रहेगी।
महिलाओं-दिव्यांगों को छूट
महिला अभ्यर्थी व 40 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्ति को एमफिल में एक वर्ष और पीएचडी की अवधि में दो वर्ष की छूट प्रदान की
जाएगी। इसके साथ ही महिला अभ्यर्थियों को एमफिल/पीएचडी की अवधि में एक बार 240 दिन तक का मातृत्व अवकाश प्रदान
किया जाएगा। इसके साथ ही महिला शोधार्थी विवाह या अन्य किसी कारण से दूसरे विश्वविद्यालय में भी अपनी पीएचडी और
एमफिल जारी रखने की अनुमति शर्तों के तहत मिलेगी।
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