स्पूतनिक वी क्या है, और ये कैसे काम करती है। स्पूतनिक वी कोविड-19 महामारी के लिए एक वैक्सीन है।ये वैक्सीन सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है. आर्टिफिशियल ढंग से बना ये टीका कोरोना वायरस में पाए जाने वाले उस कांटेदार प्रोटीन की नकल करती है, जो हमारे शरीर पर सबसे पहला हमला करता है. ये वैक्सीन शरीर में पहुंचते ही शरीर का इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और इस तरह से हमारे भीतर एंटीबॉडी पैदा हो जाती है. चूंकि वैक्सीन में डाले गए वायरस असल नहीं होते, इसलिए रिपोर्ट के मुताबिक इससे किसी तरह के संक्रमण का खतरा नहीं होता है.
स्पूतनिक वी किस देश ने बनाई?
स्पुतनिक वी वैक्सीन को रूस के गामालेया नेशनल सेंटर की ओर से विकसित किया गया है.स्पूतनिक वी का नाम रूस के बनाए दुनिया के पहले सैटेलाइट पर दिया गया है. देश में कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद टीकों की मांग में अचानक से तेजी देखी गई थी. ऐसे में स्पुतनिक वैक्सीन बाजार में आने से लोगों को टीके के लिए मारामारी से राहत मिल सकती है.सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से कोविशील्ड जबकि हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड की ओर से विकसित कोवैक्सीन कोविड 19
के इलाज में किया जा रहा है। स्पूतनिक वी भारत में प्रयोग होने वाली पहली विदेशी वैक्सीन है।स्पूतनिक वी का भारत में क्या मूल्य निर्धारित किया गया है
भारत में रूस की स्पुतनिक वी कोरोना वैक्सीन की कीमत भी तय कर दी गई है. यहां इसकी कीमत 948 रुपये होगी. वैक्सीन पर 5 प्रतिशत जीएसटी अलग से लगेगा. टैक्स के बाद एक डोज की कीमत 995 रुपये हो जाएगी.
स्पूतनिक वी की पहली डोज किसने ली ?
रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी का टीका दीपक सप्रा को दिया गया है. उन्होंने यह टीका हैदराबाद में लिया है. दीपक सप्रा डॉ. रेड्डी लोबोरेटरीज के कस्टम फार्मा सर्विस के ग्लोबल हेड हैं. कोरोन के खिलाफ लड़ाई में दो वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन पहले से लोगों को लगाई जा रही है ऐसे में तीसरी वैक्सीन आने से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत को और ज्यादा बल मिलेगा.
भारत की कोविशिल्ड और को-वैक्सीन, रूस की स्पूतनिक वी में क्या फर्क है
अब अगर इसे, हमारे यहां की दोनों वैक्सीन से तुलना करते हुए देखें तो कई अंतर हैं. तीसरे चरण के ट्रायल में स्पूतनिक वी की एफिकेसी 91% देखी गई. वहीं हमारे यहां भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट की एफिकेसी- दोनों ही तुलनात्मक तौर पर इससे कुछ कम हैं. डोज देने के अंतराल की बात करें तो तीनों ही वैक्सीन्स कुछ-कुछ हफ्तों के फर्क पर दी जाती हैं. ये समय तीनों के लिए अलग-अलग है, जबकि एक समानता ये है कि तीनों के ही दो डोज लेने होते हैं. यानी कोई भी वैक्सीन सिंगल डोज नहीं है।
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