हिमाचल प्रदेश सरकार ने 07 जुलाई 2018 को पूरे प्रदेश में थर्मोकोल के बर्तनों की बिक्री किए जाने की घोषणा की. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने इसका आदेश जारी किया.
इस आदेश में कहा गया है कि पर्यावरण के ध्यान में रखते हुए आदेश दिया जा रहा है कि प्रदेश में थर्मोकोल के कप, प्लेट, ग्लास, चम्मच, कटोरी या किसी भी प्रकार के बर्तन नहीं बेचे जाएंगें. सरकार के इस फैसले का प्रदेश के व्यापारियों ने भी स्वागत किया है.
क्या है घोषणा?
• घोषणा के अनुसार सात अक्टूबर के बाद कोई भी दुकानदार, निर्माता, बैंक्वेट हॉल मालिक, धार्मिक स्थल प्रबंधक, सराय, होटल मालिक सहित सभी संस्थान थर्मोकोल का उपयोग नहीं कर सकेंगे.
• अधिसूचना के अनुसार थोक व परचून दोनों तरह की बिक्री पर प्रतिबंध रहेगा.
• पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए सरकार ने इस आदेश का उल्लंघन करने वाले पर पांच सौ से लेकर अधिकतम 25 हजार रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है.
• उसके बाद उल्लंघन करने वाले को जेल जाना भी पड़ सकता है.
संख्या. . . . . . . जुर्माना (रुपये में)
100 ग्राम तक. . . . 500
101 से 500 ग्राम तक. . . . 1500
501 से 1 किलोग्राम तक. . . . 3,000
1.1 किग्रा से 5 किग्रा. . . . 10,000
5.1 किग्रा से 10 किग्रा. . . . . 20,000
10 किग्रा से अधिक. . . . . 25,000
पृष्ठभूमि
हिमाचल प्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य है जहां प्लास्टिक पॉलीथीन बैन की गई थी. यहां वर्ष 2009 में प्लासटिक बैग का प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया गया था. वर्ष 2011 में हाई कोर्ट ने प्लास्टिक की प्लेट्स, पैकेज्ड सामान, कप और ग्लासों को भी प्रतिबंधित कर दिया था. प्रदेश सरकार सरकार ने भी प्लास्टिक पर बैन लगा दिया था.
थर्मोकोल पर प्रतिबन्ध क्यों?
• शोधकर्ताओं द्वारा यह पाया गया है कि थर्मोकोल निर्मित कप-प्लेट में कुछ भी खाना सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है.
• वर्ष 2002 में कैंसर पर शोध करने वाली इंटरनेशनल एजेंसी ने थर्मोकोल के उपयोग से कैंसर होने का खुलासा किया था.
• वर्ष 2014 में नेशनल टॉक्सीक्लोजिकल कार्यक्रम के सर्वेक्षण में थर्मोकोल से कैंसर होने के खतरों में यह प्रमुख तथ्य माना गया.
इस आदेश में कहा गया है कि पर्यावरण के ध्यान में रखते हुए आदेश दिया जा रहा है कि प्रदेश में थर्मोकोल के कप, प्लेट, ग्लास, चम्मच, कटोरी या किसी भी प्रकार के बर्तन नहीं बेचे जाएंगें. सरकार के इस फैसले का प्रदेश के व्यापारियों ने भी स्वागत किया है.
क्या है घोषणा?
• घोषणा के अनुसार सात अक्टूबर के बाद कोई भी दुकानदार, निर्माता, बैंक्वेट हॉल मालिक, धार्मिक स्थल प्रबंधक, सराय, होटल मालिक सहित सभी संस्थान थर्मोकोल का उपयोग नहीं कर सकेंगे.
• अधिसूचना के अनुसार थोक व परचून दोनों तरह की बिक्री पर प्रतिबंध रहेगा.
• पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए सरकार ने इस आदेश का उल्लंघन करने वाले पर पांच सौ से लेकर अधिकतम 25 हजार रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है.
• उसके बाद उल्लंघन करने वाले को जेल जाना भी पड़ सकता है.
संख्या. . . . . . . जुर्माना (रुपये में)
100 ग्राम तक. . . . 500
101 से 500 ग्राम तक. . . . 1500
501 से 1 किलोग्राम तक. . . . 3,000
1.1 किग्रा से 5 किग्रा. . . . 10,000
5.1 किग्रा से 10 किग्रा. . . . . 20,000
10 किग्रा से अधिक. . . . . 25,000
पृष्ठभूमि
हिमाचल प्रदेश भारत का पहला ऐसा राज्य है जहां प्लास्टिक पॉलीथीन बैन की गई थी. यहां वर्ष 2009 में प्लासटिक बैग का प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया गया था. वर्ष 2011 में हाई कोर्ट ने प्लास्टिक की प्लेट्स, पैकेज्ड सामान, कप और ग्लासों को भी प्रतिबंधित कर दिया था. प्रदेश सरकार सरकार ने भी प्लास्टिक पर बैन लगा दिया था.
थर्मोकोल पर प्रतिबन्ध क्यों?
• शोधकर्ताओं द्वारा यह पाया गया है कि थर्मोकोल निर्मित कप-प्लेट में कुछ भी खाना सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है.
• वर्ष 2002 में कैंसर पर शोध करने वाली इंटरनेशनल एजेंसी ने थर्मोकोल के उपयोग से कैंसर होने का खुलासा किया था.
• वर्ष 2014 में नेशनल टॉक्सीक्लोजिकल कार्यक्रम के सर्वेक्षण में थर्मोकोल से कैंसर होने के खतरों में यह प्रमुख तथ्य माना गया.
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