राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है। वे ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे। धार्मिक और सामाजिक विकास के क्षेत्र में राजा राममोहन राय का नाम सबसे अग्रणी है।
नाम राजा राममोहन राय
जन्म तिथि 22 मई, 1772
जन्म स्थान बंगाल, भारत
निधन तिथि 27 सितम्बर, 1833
उपलब्धि इंग्लैण्ड का दौरा करने वाले प्रथम भारतीय
उपलब्धि वर्ष 1834
राजा राममोहन राय से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 ई. को राधा नगर नामक बंगाल के एक गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रमाकांत रॉय और माता का नाम तारिणी देवी था।
15 वर्ष की आयु तक उन्हें बंगाली, संस्कृत, अरबी तथा फ़ारसी का ज्ञान हो गया था। किशोरावस्था में उन्होने काफी भ्रमण किया।
उन्होने 1803-1814 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए भी काम किया।
उन्होंने वर्ष 1821 में ‘यूनीटेरियन एसोसिएशन’ की स्थापना की थी।
हिन्दू समाज की कुरीतियों के घोर विरोधी होने के कारण 1828 में उन्होंने ‘ब्रह्म समाज’ नामक एक नये प्रकार के समाज की स्थापना की थी।
1831 से 1834 तक अपने इंग्लैंड प्रवास काल में राममोहन जी ने ब्रिटिश भारत की प्राशासनिक पद्धति में सुधार के लिए आन्दोलन किया। ब्रिटिश संसद के द्वारा भारतीय मामलों पर परामर्श लिए जाने वाले वे प्रथम भारतीय थे।
उन्होंने 1833 ई. के समाचारपत्र नियमों के विरुद्ध प्रबल आन्दोलन चलाया। समाचार पत्रों की स्वतंत्रता के लिए उनके द्वारा चलाये गये आन्दोलन के द्वारा ही 1835 ई. में समाचार पत्रों की अज़ादी के लिए मार्ग बना।
राजा राम मोहन राय ने ही अपने अथक प्रयासों से वर्षो से चली आ रही ‘सती प्रथा’ को ग़ैर-क़ानूनी दंण्डनीय घोषित करवाया। जिसके कारण लॉर्ड विलियम बैंण्टिक ने 1829 में सती प्रथा को समाप्त करने का निर्णय लिया।
उन्हें मुग़ल सम्राट की ओर से ‘राजा’ की उपाधि दी गयी थी।
27 सितम्बर 1833 को इंग्लैंड के ब्रिस्टल में उनका निधन हो गया।
नाम राजा राममोहन राय
जन्म तिथि 22 मई, 1772
जन्म स्थान बंगाल, भारत
निधन तिथि 27 सितम्बर, 1833
उपलब्धि इंग्लैण्ड का दौरा करने वाले प्रथम भारतीय
उपलब्धि वर्ष 1834
राजा राममोहन राय से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:
राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 ई. को राधा नगर नामक बंगाल के एक गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रमाकांत रॉय और माता का नाम तारिणी देवी था।
15 वर्ष की आयु तक उन्हें बंगाली, संस्कृत, अरबी तथा फ़ारसी का ज्ञान हो गया था। किशोरावस्था में उन्होने काफी भ्रमण किया।
उन्होने 1803-1814 तक ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए भी काम किया।
उन्होंने वर्ष 1821 में ‘यूनीटेरियन एसोसिएशन’ की स्थापना की थी।
हिन्दू समाज की कुरीतियों के घोर विरोधी होने के कारण 1828 में उन्होंने ‘ब्रह्म समाज’ नामक एक नये प्रकार के समाज की स्थापना की थी।
1831 से 1834 तक अपने इंग्लैंड प्रवास काल में राममोहन जी ने ब्रिटिश भारत की प्राशासनिक पद्धति में सुधार के लिए आन्दोलन किया। ब्रिटिश संसद के द्वारा भारतीय मामलों पर परामर्श लिए जाने वाले वे प्रथम भारतीय थे।
उन्होंने 1833 ई. के समाचारपत्र नियमों के विरुद्ध प्रबल आन्दोलन चलाया। समाचार पत्रों की स्वतंत्रता के लिए उनके द्वारा चलाये गये आन्दोलन के द्वारा ही 1835 ई. में समाचार पत्रों की अज़ादी के लिए मार्ग बना।
राजा राम मोहन राय ने ही अपने अथक प्रयासों से वर्षो से चली आ रही ‘सती प्रथा’ को ग़ैर-क़ानूनी दंण्डनीय घोषित करवाया। जिसके कारण लॉर्ड विलियम बैंण्टिक ने 1829 में सती प्रथा को समाप्त करने का निर्णय लिया।
उन्हें मुग़ल सम्राट की ओर से ‘राजा’ की उपाधि दी गयी थी।
27 सितम्बर 1833 को इंग्लैंड के ब्रिस्टल में उनका निधन हो गया।
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