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20 January 2018

ज्वालामुखी का अर्थ, प्रकार, प्रभाव और विश्व के प्रमुख ज्वालामुखी की सूची।

जवालामुखी किसे कहते है? (What is Volcano)

ज्वालामुखी पृथ्वी पर स्थित वह स्थान है, जहाँ से पृथ्वी के बहुत नीचे स्थित पिघली चट्टान, जिसे मैग्मा कहा जाता है, पृथ्वी की सतह पर आता है। मैग्मा ज़मीन पर आने के बाद लावा कहलाता है। लावा ज्वालामुखी में मुख पर और उसके आस-पास के क्षेत्र में बिखर कर एक कोण का निर्माण करती है। यहां, हम विश्व के प्रमुख सक्रिय ज्वालामुखी की सूची दे रहे हैं जिसका उपयोग शैक्षणिक उद्देश्यों के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी किया जा सकता है।

ज्वालामुखी के प्रकार: (Types of  Volcano)

ज्वालामुखी विस्फोट की आवृत्ति के आधार पर इसे वर्गीकृत किया जाता है:



    जाग्रत या सक्रीय ज्वालामुखी: जिन ज्वालामुखियों से लावा,गैस तथा विखंडित पदार्थ सदैव निकला करते हैं उन्हें जाग्रत या सक्रीय ज्वालामुखी कहते हैं। वर्त्तमान में विश्व के जाग्रत ज्वालामुखियों की संख्या 500 के लगभग बताई जाती है। इनमें प्रमुख हैं, इटली के एटना तथा स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी। स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी भूमध्य-सागर में सिसली के उत्तर में लिपारी द्वीप पर स्थित है। इससे सदैव प्रज्वलित गैसें निकला करती हैं। जिससे आस-पास का भाग प्रकाशमान रहता है, इसी कारण से इस ज्वालामुखी को भूमध्य सागर का प्रकाश स्तम्भ कहते है।
    प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी: कुछ ज्वालामुखी उदगार के बाद शांत पड जाते हैं तथा उनसे पुनः उदगार के लक्षण नहीं दिखते हैं, पर अचानक उनसे विस्फोटक या शांत उद्भेदन हो जाता है, जिससे अपार धन-जन की हानि उठानी पड़ती है। ऐसे ज्वालामुखी को जिनके उदगार के समय तथा स्वभाव के विषय में कुछ निश्चित नहीं होता है तथा जो वर्तमान समय में शांत से नज़र आते हैं, प्रसुप्त ज्वालामुखी कहते हैं। विसूवियस तथा क्राकाटाओ इस समय प्रसुप्त ज्वालामुखी की श्रेणी में शामिल किया जाता है। विसूवियस भूगर्भिक इतिहास में कई बार जाग्रत तथा कई बार शांत हो चुका है।
    मृत या शांत ज्वालामुखी: शांत ज्वालामुखी का उदगार पूर्णतया समाप्त हो जाता है तथा उसके मुख में जल आदि भर जाता हैं एवं झीलों का निर्माण हो जाता हैं तो पुनः उसके उदगार की संभावना नहीं रहती है। भुगढ़िक इतिहास के अनुसार उनमें बहुत लम्बे समय से उद्गार नहीं हुआ है। ऐसे ज्वालामुखी को शांत ज्वालामुखी कहते हैं। कोह सुल्तान तथ देवबंद इरान के प्रमुख शांत ज्वालामुखी है। इसी प्रकार वर्मा का पोप ज्वालामुखी भी प्रशांत ज्वालामुखी का उदाहरण है।

ज्वालामुखी आने के कारण:(Causes of Volcano)

भूवैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चला है कि भूसतह के नीचे अलग-अलग गहराइयों पर कुछ रेडियोधर्मी खनिज मौजूद हैं जिनके विखंडन से गर्मी उत्पन्न होती है। इस गर्मी के कारण पृथ्वी के भीतर मौजूद चट्टानें एवं अन्य पदार्थ तपते रहते हैं। इसके फलस्वरूप भूपटल के निचले स्तरों में तापमान चट्टानों के गलनांक से ऊपर पहुंच जाता है। परन्तु गहराई के साथ दाब भी बढ़ता जाता है। अत: इन गहराइयों पर ताप और दाब के बीच द्वंद्व चलता रहता हैहालांकि तापमान चट्टानों के गलनांक (1000 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर हो जाता है परन्तु अत्यधिक दाब के कारण चट्टानें द्रवित नहीं हो पातीं लेकिन कभी-कभी ताप तथा दाब के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है। यह असंतुलन दो प्रकार से पैदा हो सकता है:-

1. दाब के सापेक्ष ताप में अत्यधिक वृद्धि।
2. ताप के सापेक्ष दाब में कमी हो जाए।

इन दोनों ही अवस्थाओं में भूमि के नीचे स्थित चट्टानें तत्काल द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाती हैं तथा मैगमा का निर्माण होता है। कुछ ऐसा ही परिणाम दाब में अपेक्षाकृत कमी के कारण भी होता है। भूसंचलन विक्षोभों के कारण भूपटल के स्तरों में पर्याप्त हलचल होती है जिसके फलस्वरूप बड़ी-बड़ी दरारों का निर्माण होता है। ये दरारें काफी गहराई तक जाती हैं। जिन स्तरों तक दरारों की पहुंच होती है, वहां दाब में कमी आ जाती है। इसकी वजह से ताप तथा दाब के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है। इस परिस्थिति में यदि तापमान चट्टानों के गलनांक से ऊपर हो जाए तो अविलम्ब स्थानीय रूप से मैगमा का निर्माण होता है। जैसे ही मैगमा का निर्माण होता है यह अविलम्ब अधिक दाब वाले क्षेत्र से कम दाब वाले क्षेत्र की ओर बहता है। इसी क्रम में यह दरारों से होकर ऊपर भूसतह की ओर बढ़ता है। दरारों से होकर ऊपर बढ़ने के क्रम में कभी तो मैगमा भूसतह पर पहुंचने में सफल हो जाता है, परन्तु कभी रास्ते में ही जम कर ठोस हो जाता है। भूसतह तक पहुंचने वाले मैगमा को लावा कहते हैं तथा इसी के कारण ज्वालामुखी विस्फोट होता है।

ज्वालामुखी के प्रभाव: (Effects of  Volcano)

    फ्रेअटिक विस्फोट से भाप जनित विस्फोट की प्रक्रिया होती है।
    लावा के विस्फोट के साथ उच्च सिलिका का विस्फोट होता है।
    कम सिलिका स्तर के साथ भी लावा का असंयत विस्फोट होता है।
    मलबे का प्रवाह।
    कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन।
    विस्फोट से लावा इतना चिपचिपा एवं लसदार होता है कि दो उद्गारों के बीच यह ज्वालामुखी छिद्र पर जमकर उसे ढक लेता है। इस तरह गैसों के मार्ग में अवरोध हो जाता है।

विश्व के प्रमुख सक्रिय ज्वालामुखी की सूची: (List of Active Volcanoes of the World in Hindi)
ज्वालामुखी का नाम स्थान ऊँचाई विस्फोट की अंतिम तिथि/वर्ष
पोपोकातेपेट अल्तिप्लानो डे मेक्सिको 5451 मीटर 1920
एना कराकोटा, इंडोनेशिया 155 मीटर 1929
माउंट कैमरून मोनार्क, कैमरून 278 मीटर 1959
गुआल्लातिरी एंडीज, चिली 6060 मीटर 1960
फुएगो सिएरा माद्रे, ग्वाटेमाला 1962
सुरतसे दक्षिण-पूर्व-आइसलैंड 173 मीटर 1963
अगुंग बाली द्वीप, इंडोनेशिया 3142 मीटर 1964
तुपुन्गतिती एंडीज, चिली 5640 मीटर 1964
लास्कार एंडीज, चिली 5641 मीटर 1968
क्ल्यूचेव्सकाया श्रेडिनी – खेर्बेट, यूएसएसआर 4850 मीटर 1974
फ्रेबुस रॉस द्वीप, अंटार्कटिका 3795 मीटर 1975
संगे एंडीज, कोलंबिया 5230 मीटर 1976
सेमरू जावा, इंडोनेशिया 3676 मीटर 1976
न्यारागोंगो विरुंगा, ज़ैरे 3470 मीटर 1977
पुरस एंडीज, कोलंबिया 4590 मीटर 1977
मैदना लोया हवाई, अमरीका 4170 मीटर 1978
माउंट एटना सिसिली, इटली 3308 मीटर 1979
ओजोस डेल सलादो एंडीज, अर्जेंटीना – चिली 6885 मीटर 1981
नवादो डेल रुइज़ एंडीज, कोलंबिया 5400 मीटर 1985
माउंट उन्जें होंसू, जापान 1991
माउंट मायों लुज़ोन, फिलीपींस 1991 और 1993
माउंट य्जफ़्जोएल्ल (Mount Eyjafjoell) आइसलैंड 2010
विश्व के अन्य मुख्य ज्वालामुखी की सूची: (List of Major Volcanoes of the World in Hindi)

    टकाना, ओजोसडेल सेलेडो, कोटोपैक्सी, लैसर, टुपुंगटीटो, पोपोकैटेपिटल, सैंगे, क्ल्यूचेव्सकाया, प्यूरेस, टाजुमुल्को, मौनालोआ, माउण्टकैमरून, माउण्ट इरेबस, रिन्दजानी, पिको देल तेइदे, सेमेरू, नीरागोंगा, कोरयाक्सकाया, इराजू, स्लामाट, माउण्टस्पर, माउण्ट एटना, लैसेन पीक, माउण्ट सेण्ट हेलेन्स, टैम्बोरा, द पीक, माउण्ट लेमिंटन, माउण्ट पीली, हेक्सा, लासाओफैरी, विसूवियस, किलाउस, स्ट्राम्बोली, सैण्टोरिनी, बलकैनो, पैरीक्यूटिन, सरट्से, एनैक क्राकाटाओ और तोबा।

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